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चतरा जिले में कोयले का काला कारोबार, वन विभाग दो हाइवा जब्त (पूरा देखे)

बालूमाथ और टंडवा के तस्करों का बना है फेस जॉन, कई थाना सरकारी कार्यालय रास्ते से निकलती है अवैध कोयला, बॉर्डर में जप्ती से उठ रही है कई सवाल

अवैध कोयला तस्करी पर 15 दिनों में वन विभाग के दो बार नकेल से कई विभाग संदेह के घेरे में, जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग

चतरा: जिले में इन दिनों कोयले की तस्करी के लिए बालूमाथ और टंडवा के कोल तस्करो का फेस जॉन बग गया है। दोनों जगह के तस्कर आसानी से प्रतिदिन रुक-रुक कर दर्जनों हाईवा और ट्रकों से अवैध कोयला ढुलाई करने में सफल हो रहे हैं। अवैध कोयला तस्करी परिवहन में वन विभाग द्वारा 15 दिनों में दो बार जप्त कर कार्रवाई से कई चतरा जिले में कई विभाग का भूमिका संदेह के घेरे में आ गया है। 15 दिन पूर्व चतरा वन विभाग द्वारा 10 हाईवे जप्त कर तस्कर को जेल भेजा था। 15 दिनों के अंतराल में मंगलवार को हंटरगंज वन विभाग अवैध कोयला ले जा रहे दो हाईवा JH-02BR 2490, JH-02BS-3504जप्त कर कार्रवाई की है। दोनों जप्त हाइवा आम्रपाली कोल परियोजना से राजधार साइडिंग में कोयला ढुलाई करता है। इसी के आड़ में आम्रपाली में अवैध कोयला लोड क बिहार मंडी ले जाया जा रहा था। वन विभाग में बताया चतरा हंटरगंज के रास्ते से टंडवा और बालूमाथ से अवैध कोयला का परिवहन कर बिहार ले जाने की सूचना पर कार्रवाई की गई है। वन विभाग द्वारा 15 दिनों के अंदर दो बार कार्रवाई से तस्करों में हड़कंप मचा हुआ है। वही कई तस्कर अपना पहुंच पकड़ और सेटिंग से तस्करी होने का हवाला दे रहे हैं। टंडवा बालूमाथ के कोल परियोजना से अवैध कोयले का कारोबार चतरा के रास्ते से कई थानों होकर गुजरती है। जिसमें किसी को भी भनक तक नहीं लगती और रातों-रात अवैध कोयला की तस्करी की जाती है। जानकार बताते हैं बालूमाथ, टंडवा, सिमरिया, बगरा, चतरा, बिहार के तस्कर सक्रिय हैं। कोयला लदा वाहन उक्त क्षेत्र के थाना के समीप से होकर गुजरते हैं। पुलिस कभी कभार एक-दो अवैध रूप से कोयला लदे वाहनों को पकड़ कर सिर्फ खानापूरी करती है, जिससे तस्करों का मनोबल बढ़ा हुआ है। करवाई टीम में फॉरेस्टर चंदन कुमार,वनरक्षि मुकेश कुमार, हरेंद्र राणा, अमरदीप टोप्पो सहित होमगार्ड के जवान शामिल थे।

काला कारोबार से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान

कोल तस्करों के लिए चतरा जिला फेस जॉन बना है। अवैध धंधे में शामिल मुख्य सरगना पकड़ में नहीं आया, जिसके कारण कोयले का काला खेल बदस्तूर जारी है और सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। कुछ तस्कर फर्जी कागजात से कोयला लोड कर परियोजना के चेक पोस्ट निकालता है तो कुछ तस्कर हाइवा से ट्रेसपोटिंग के आड़ में रात के अंधेरे में अवैध कोयला निकाल कर बिहार डेहरी डोभी में खपाया जाता है।

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