- विभिन्न प्रकार के बहाने बनाकर ससमय FIR न दर्ज करने वाले थाना प्रभारियों के विरूद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई करने के संबंध में।
- आम जनता से दुर्व्यवहार / बदतमीजी करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई करने के संबंध में।
उपर्युक्त विषयक, विभिन्न सूत्रों से ऐसी जानकारियाँ प्राप्त हो रही है कि झारखण्ड राज्य के अनेक जिलों में थाना प्रभारी एवं थाना के अन्य कर्मी विशेषकर मुंशी, आम जनता से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं और जनता की शिकायतों पर थाना में प्राप्ति रसीद भी नहीं देते हैं, जिसके चलते भुक्तभोगी भटकते रहते हैं और उन्हें उचित न्याय नहीं मिल पाता है। इस संबंध में निम्न निर्देश दिये जाते हैं :-
- यदि कोई साइबर अपराध, ST/SC, Human Trafficking एवं महिला अपराध से संबंधित भुक्तभोगी किसी आम थाने पर जाता है, तो उसे क्रमशः साइबर, ST/SC. AHTU या महिला थाना में जाने की सलाह दी जाती है, जो कि पूर्णतः गलत है। यदि किसी जिले में अपराध विशेष उद्धरण महिला अपराध, साइबर अपराध के लिए अलग से थाना खुला है, उसका ये मतलब कतई नहीं है कि जिले के अन्य थानों में इस संबंध में FIR दर्ज नहीं की जा सकती। सभी वरीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया जाता है कि जैसे ही इस प्रकार का कोई दृष्टांत मिले तो अविलम्ब उक्त थाना प्रभारी को थाना से हटा दिया जाय एवं उनके विरूद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाय।
2 उल्लेखनीय है कि BNSS-173 में स्पष्ट प्रावधान है कि अपराध किया गया क्षेत्र पर विचार किये बिना, थाना प्रभारी के द्वारा FIR/OFIR दर्ज किया जाय। यदि कोई थाना प्रभारी इसका अनुपालन नहीं करता है तो स्पष्ट है कि वो कानून का उल्लंघन कर रहा है।
- सभी क्षेत्रीय पुलिस उप-महानिरीक्षक एवं सभी पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिला और क्षेत्र में ऐसी व्यवस्था कायम करें कि आम जनता अपनी शिकायत को वरीय अधिकारियों (पुलिस महानिरीक्षक/पुलिस उप महानिरीक्षक/पुलिस अधीक्षक) के पास दर्ज करा सके, विशेषकर जहाँ पर थाना प्रभारियों द्वारा उनके वाद पर आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाती है।
- सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक एवं क्षेत्रीय पुलिस उप-महानिरीक्षक को सख्त निर्देश दिया जाता है कि वे भ्रमण के क्रम में थानेदारों और थाने पर पदस्थापित अन्य कर्मी को आम जनता के प्रति अच्छा व्यवहार करने हेतु निदेशित करें। आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को चिन्हित करें एवं अविलम्ब थाना से हटा दें।
सभी पुलिसकर्मियों को जानकारी दिये जाने की आवश्यकता है कि वे समाज और जनता के सेवक एवं सुरक्षाकर्मी हैं, न की उनके मालिक। पुलिसकर्मियों को इसी भाव से अपनी डियूटी करनी चाहिए।