बिहार में महागठबंधन सरकार गिरने के 6 दिन बाद कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि NDA में वापसी के लिए नीतीश कुमार ने कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया, पर सच तो यह है कि उनके 3 खास लोग ललन सिंह, अशोक चौधरी और संजय झा ही इसके असली किरदार थे। ये तीनों जदयू और भाजपा, दोनों जगह बैठ रहे थे।
नौकरियों का क्रेडिट तेजस्वी के लेने और कांग्रेस को दो मंत्री पद न मिल पाने पर भी डॉ. शकील ने बहुत से भेद खोले। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में डॉ. शकील ने और कौन-कौन सी परतें खोलीं…सिलसिलेवार पढ़िए।
सवाल- नीतीश कुमार ने आप लोगों का साथ छोड़ दिया, इसका कितना असर चुनाव पर पड़ेगा?
जवाब- दोनों पार्टी, बीजेपी और जेडीयू अपने आचार, विचार और किरदार में डबल स्टैंडर्ड की पार्टी हैं। सच तो यह है कि तीन राज्यों में, जहां बीजेपी ने सरकारें बनाईं, वहां कांग्रेस का वोट परसेंट बढ़ गया। इसका मतलब है कि जनता विरोध में है। यह लोकसभा चुनाव 2024 में रिफ्लेक्ट होगा। ऊपर से लग रहा है कि दोनों मिल गए हैं, लेकिन दोनों पर यह इल्जाम तो है ही कि इनका कोई किरदार नहीं है।
सवाल-फिर कैसे आप लोगों ने नीतीश कुमार पर भरोसा कर लिया?
जवाब- जाहिर सी बात है, उनके पास बहाने बहुत सारे हैं। हम लोगों ने नीतीश कुमार को काफी सम्मान दिया। उनकी पार्टी में ललन सिंह, संजय झा और अशोक चौधरी, ये तीन किरदार तो पहले से भारतीय जनता पार्टी के पास जा रहे थे। ये सब हम लोग देख रहे थे। अब देखिए कि नीतीश कुमार पहले जब सीएम पद की शपथ लेते थे और कैबिनेट मिनिस्टर की भी लिस्ट आ जाती थी। अब क्यों देर हो रही है? ऐसे किरदार जब आपस में मिलते हैं तो ऐसी ही स्थिति बनती है।
सवाल-आप क्या कहना चाहते हैं कि नीतीश कुमार को यही तीन किरदार चला रहे हैं?
जवाब- नीतीश कुमार को चलाने में तो कई लोग हैं, लेकिन ये तीनों कभी कुछ, कभी कुछ बोलते रहते हैं। ललन सिंह किस तरह से बोल रहे हैं देख लीजिए।
सवाल-नीतीश कुमार पलटी मारते रहे हैं, उनका बीजेपी के साथ भी काफी लंबा साथ रहा है, फिर आपको भरोसा कैसे हुआ?
जवाब- गलतियां हो जाती हैं। इस तरह की कसमें वे खाने लगे कि हम लोगों को विश्वास हो गया। कहते थे कि देश बर्बाद हो जाएगा, इतिहास बदल रहा है, संविधान बदल रहा है। यह सब बड़े-बड़े जलसों में नीतीश कुमार ने कहा। हमें लगा कि ये गांधी के रास्ते पर आ जाएंगे, लेकिन गांधी और गोडसे को एक साथ चिपकाकर वे राजनीति करेंगे तो उनका कोई इतिहास रह जाएगा क्या?
सवाल- नीतीश कुमार को आपलोगों ने अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया? क्या खतरा दिखा था कांग्रेस को?
जवाब-26 पार्टियां की अलायंस I.N.D.I.A है। नीतीश कुमार से पूछिए कि जहां-जहां उन्होंने अपना हवाई जहाज घुमाया था, वे सब इनके पक्ष में थे क्या? ममता बनर्जी, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, अरविंद केजरीवाल उनके पक्ष में थे क्या? हम लोगों ने ऑफर दिया, उसे स्वीकार कर लेना चाहिए था। इसका मतलब है कि वे अपना एजेंडा लेकर इंडिया गठबंधन में साथ आए थे। जो होता है, अच्छे के लिए होता है।
सवाल-इंडिया गठबंधन को इससे ताकत मिलेगी या कमजोर होगा?
जवाब- गठबंधन जनता के साथ होता है। जनता इस तरह के दांव-पेंच नहीं समझती है क्या..। जब हमलोग गठबंधन में साथ आए तबलोगों को बिहार में इतनी नौकरियां मिलीं।सवाल- ये क्रेडिट तो जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस तीनों अलग-अलग ले रही हैं?जवाब- वे तो 17 साल से सत्ता में भाजपा के साथ रहे। ये नौकरियां तो पुराना बैकलॉग है। ये डिमांड पुराना था। हमारा दबाव था, तभी इतनी नौकरियां दी गईं।
सवाल- दबाव तो आप लोगों का ऐसा था कि दो और मंत्री पद की मांग कांग्रेस करती रही और नीतीश कुमार ने नहीं ही दिया?
जवाब- मैं जनता के कार्यक्रमों की बात कर रहा हूं। वे नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के बिल्कुल खिलाफ थे। हम लोगों ने इसके लिए मीटिंग करवाई। उनको मानना पड़ा। बिहार के स्कूल-कॉलेजों का क्या हाल बनाकर रख दिया? 15 साल से तो नीतीश कुमार ही सत्ता पर रहे हैं। हमलोगों का दबाव रहा। बीजेपी वाले क्यों नहीं करवा पाए थे नीतीश कुमार से?
सवाल- दो और मंत्री पद आप लोग क्यों नहीं ले पाए?
जवाब- हमलोग सिर्फ ये नहीं चाहते थे कि दो और बर्थ मिल जाएं, बल्कि हमारा बड़ा लक्ष्य बीजेपी को रोकने का है।सवाल- नीतीश कुमार का क्या लक्ष्य था?जवाब- ये वही जानें। वे गाहे-बगाहे बताते रहे हैं। पब्लिक के बीच स्टेटमेंट देते थे कि हमें कुछ नहीं चाहिए, कोई पद नहीं चाहिए और मन में कुछ और रखे हुए थे।
सवाल- बिहार में सरकार जा रही थी और आपकी पार्टी सीमांचल में थी, सारे के सारे विधायक। टूट का खतरा था क्या?
जवाब- कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बिहार के दौरे पर था। हमारे सारे विधायक राहुल गांधी की पदयात्रा में थे। वह बहुत बड़ा कार्यक्रम रहा.. सामाजिक न्याय को लेकर, भाईचारा को लेकर। वहां पहले से कार्यक्रम था। अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और मैं पांच दिन पहले से पहुंच गए थे।
सवाल- कन्हैया कुमार, बिहार में लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे क्या, वे भी राहुल गांधी के साथ पदयात्रा में रहे?
जवाब- ये फैसला पार्टी के अंदर गठबंधन के साथ मिलकर हम लोग करेंगे। हमारा गठबंधन राजद और लेफ्ट के साथ मजबूती के साथ है। हम लोग तो सीट बंटवारे का काफी काम कर चुके थे, लेकिन संजय झा इधर भी बैठ रहे थे और उधर भी बैठ रहे थे। यही किरदार है क्या?
सवाल- आपको क्या लगता है, बिहार विधानसभा अध्यक्ष को लेकर जो फ्लोर टेस्ट होना है उसमें खेला हो सकता है क्या?
जवाब- ये तो जब होगा तब देखा जाएगा। इस पर अभी बोलने के लिए कुछ नहीं है। कुछ चीजें समय पर तय होती हैं।सवाल- खतरा कांग्रेस, आरजेडी पर ही बताया जा रहा है?जवाब- ये अशोभनीय बात है। ऐसी कोई मिसाल नहीं कि कांग्रेस टूट गई हो। टूट तो जेडीयू और बीजेपी भी सकती है।
सवाल- यह सवाल इसलिए कि सत्ता पक्ष की तरफ राजनीतिक नेताओं का खिंचाव ज्यादा दिखता रहा है?
जवाब- जो परमानेंट सत्ता पक्ष है, उसकी तरफ ज्यादा लोग रहते हैं। लोग अपना भविष्य देखते हैं, किरदार देखते हैं।