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पूर्व बाहुबली सांसद पर पशुपति पारस ने जताया भरोसा, 21 नेता भी बने सदस्य

केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को केंद्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है। पशुपति पारस ने उनपर भरोसा जताया है। साथ ही 21 नेताओं को ससंदीय बोर्ड का सदस्य भी बनाया है।

पहले वैशाली सांसद वीणा सिंह संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष थीं, लेकिन लोजपा (रा) की स्थापना दिवस के दिन वीणा देवी पटना में आयोजित समारोह में चिराग पासवान के साथ मंच पर पहुंच गईं। चाचा को छोड़ उनके भतीजे के गुट में वापस चले जाने के बाद पशुपति कुमार पारस ने अपनी पार्टी के ससंदीय बोर्ड को भंग कर दिया था, लेकिन शनिवार को दिल्ली में इसका फिर से गठन कर दिया है। अब सूरजभान सिंह को अब नई और बड़ी जिम्मेवारी सौंप दी गई है।

हत्या, लूट समेत कई मामलों में चल चुका है केस

एक समय सूरजभान सिंह का अपराध की दुनिया में बड़ा नाम था। उनके ऊपर हत्या, लूट और रंगदारी के कई केस थे। रेलवे टेंडर के खेल में भी माहिर थे। 1998 में पुलिस ने सूरजभान सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 2000 का चुनाव उन्होंने जेल से ही निर्दलीय लड़ा।

नॉमिनेशन के दौरान बाढ़ में करीब 40 हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। 2004 के लोकसभा चुनाव के वक्त सूरजभान सिंह लोजपा में शामिल हो गए और बलिया से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद है। उनकी पत्नी वीणा देवी मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं।

सवाल- सूरजभान सिंह ही क्यों?

सूरजभान सिंह की राजनीतिक शुरुआत तब हुई जब दिवंगत केंद्रीय मंत्री व लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था। सूरजभान सिंह पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं।

जब-जब पार्टी पर किसी भी प्रकार का संकट गहराया तो वो संकटमोचन बनकर हमेशा डंटे रहे। पासवान परिवार के सबसे विश्वासी और करीबी हैं। इस लिए उन पर भरोसा जताते हुए पशुपति कुमार पारस ने उन्हें नई जिम्मेवारी सौंपी है।

पत्नी और भाई भी बने सांसद
सूरजभान सिंह पटना जिले में मोकामा के शक्करबार टोला के रहने वाले हैं। इनके परिवार से कुल तीन लोग सांसद बने। सबसे पहले सूरजभान सिंह खुद ही सांसद बने थे। वो परिसिमन में बदलाव से पहले बलिया लोकसभा क्षेत्र से 2004 में चुनाव लड़े थे।

इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर से इनकी पत्नी वीणा देवी सांसद बनी। फिर 2019 में इनके छोटे भाई चंदन सिंह नवादा से चुनाव जीते और वर्तमान में सांसद हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह संस्थापक सदस्य रामजी सिंह के अनुसार सूरजभान सिंह ने जब से पार्टी को जॉइन किया तब से वो निरंतर बने रहे। पार्टी के प्रति ईमानदारी और पूरी निष्ठा के साथ काम किया। उनका समाज और पार्टी, दोनों ही जगह पर प्रभाव है। पार्टी में भी सर्वमान्य नेता हैं।

अब आगे क्या?
दरअसल, हर राजनीतिक पार्टी का अपना ससंदीय बोर्ड होता। जो सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह एक संवैधानिक पद होता है। जल्द ही लोकसभा का चुनाव होना है। बोर्ड का काम सामंजस्य बैठाकर काम करना है। चुनाव में उम्मीदवारों का चयन यही बोर्ड करती है। बोर्ड का गठन कर पशुपति कुमार पारस ने यह बता दिया है कि उनकी पार्टी चुनावी मूड में आ गई है। अब पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

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