नेतृत्व विहीन पलामू के लिए खतरे की घड़ी : कमलेश सिंह
पलामू एक ऐसा जिला जो आज अपने विकास, अपने समृद्धि के लिए तरस रही है। आज पलामू में यूं तो कई राजनीतिक दल से जुड़े हुए लोगों का, कई उद्योगपतियों का एक स्थान है। लेकिन अगर गौर करें तो आज पलामू नेतृत्व विहीन है, क्योंकि पलामू की मूल समस्या मंडल डैम, चिरमिरी रेल लाइन, चतरा रेल लाइन, औद्योगिक व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था, जंगल, नदी, पहाड़ की सुरक्षा, रोजगार इत्यादि की बात करने वाला कोई भी नहीं है। यहां तक की पलामू में मूलभूत स्वास्थ्य चिकित्सा भी नहीं के बराबर है। विगत वर्षों पहले पलामू में मंडल डैम का शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री जी ने दो बार किया, लेकिन आज पलामू में मोदी जी पांचवीं बार आते हैं चुनावी सभा करते हैं सभी विषयों पर मन की बात बोलते हैं और चले जाते हैं मंच पर सुविध के अनुकूल तापमान भी बना दिया गया, लेकिन मंच के सामने लाखो कार्यकर्ता पलामू वासी चिलचिलाती धूप के उतपन्न गर्मी में पसीना पोछते दिखे, पलामू वासी 48℃ का तापमान झेलने को पुनः तैयार है। मंडल डैम, चिरमिरी रेल लाइन, चतरा रेल लाइन, पर्यावरण, पहाड़, नदी, जंगल, रोजगार, स्वास्थ्य व्यवस्था इत्यादि इन सब बातों की कोई चर्चा नहीं होती है और ना ही भाजपा के किसी वर्तमान विधायक, सांसद प्रत्याशी एवं अन्य भाजपा के पदाधिकारी के द्वारा इसकी चर्चा तक की जाती है। यह बहुत ही निंदनीय है और पलामू के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता जा रहा है आने वाले समय में पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा की चर्चा कौन करेगा, विकास की बात कौन करेगा यह एक सोचनीय है। आने वाले कल में शायद पलामू की बात कोई करें, ना करें या एक चिंता का विषय है।