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अथक प्रयास के बाद भी एशिया का सबसे बड़ा कुन्दरी लाह बागान उपेक्षित (पूरा पढ़े)

अथक प्रयास के बाद भी एशिया का सबसे बड़ा कुन्दरी लाह बागान उपेक्षित : कमलेश सिंह

एशिया महादेश का सबसे बड़ा 421 एकड़ में विस्तृत लाखो लाह पोषक वृक्ष और पांच बड़े आहर को समेटे कुन्दरी लाह बागान आज भी अथक प्रयास के बाद उपेक्षित है। वर्ष 2013 में मात्र 35000 लाह पोषक वृक्षों लाखो तक पहुंचाने वाले स्थानीय ग्रामीण आज भी अपने सुखद भविष्य की ताक बागान पर लगाए हुए हैं।
सबो को ज्ञात होगा कि पूर्व उपायुक्त के समय ऋद्धि सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति की देख रेख में लाह खेती का कार्य प्रारंभ हुआ था। जिसका चयन प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड में चयन भी रोजगार सृजन एवं पर्यावरण संरक्षण के संयुक्त अभियान में हुआ था। सैकड़ो लोगो को प्रतिदिन रोजगार भी उपलब्ध होने लगा। जिसमे पलामू के पलाश को राष्ट्रीय पहचान भी मिली। लेकिन समय ने करवट और यह योजना भी धराशायी हो गया। वन विभाग और बिचौलियों की मदद से करोड़ो रूपये की लाह का बंदरबांट कर दिया गया।
पुनः वर्ष 2019 में समिति की मांग पर सरकार ने JSLPS के सखी मंडलों को लाह पोषक वृक्षो को वृक्ष पट्टा के रूप में आवंटित किया गया।बलेकिं विगत पांच वर्षों में भी कोई सकारात्मक कार्य JSLPS के द्वारा नही किया गया। फलस्वरूप आज भी महिलाओं को कोई लाभ नही मिला और पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गई और उत्पादित लाह को पदाधिकारी और बिचौलियों की मदद से चोरी करके बिकवा दिया गया। महिला समूहों को कोई आर्थिक लाभ नही मिला।
ज्ञात हो कि आज बागान की उपेक्षा का लाभ असमाजिक तत्वों को मिल रहा है, जंगलों की अवैध कटाई शुरू हो गई है। जिसे देखते हुए स्थानीय संस्था उद्घोष फाउंडेशन ने इसके संरक्षण के लिए फिर आवाज उठाने लगी है। संस्था के अध्यक्ष कमलेश सिंह ने इसके संरक्षण और विकास के लिए उपायुक्त पलामू को पत्र लिखा है और आग्रह किया है कि अपने देख रेख में इसे पुनः विकसित करने का कार्य प्रारंभ करे।
कुन्दरी लाह बगंबके पुनर्विकास से यहांनपर हज़ारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण का कार्य सम्भव होगा। संस्था के पास इसके पूर्ण विकास के समुचित योजना है जिसमे लाह की खेती, बटन लेक, सीलिंग वैक्स, हर्बल गुलाल, इको फ्रेंडली पार्क इत्यादि के माध्यम से हज़ारों लोगों को रोजगार ग्राम में ही उपलब्ध होगा। साथ ही प्रमंडलीय स्तर पर कार्य करने से करीब 50000 लोगो को सीधे लाभ दिलाया जा सकता है। जल्द ही इस विषय पर माननीय मुख्यमंत्री झारखंड सरकार से भी मिलकर वार्ता किया जाएगा।

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