सेवा में,
थाना प्रभारी महोदय डोरण्डा थाना, रांची।
विषय- लक्ष्मी नर्सिंग होम हिनू रांची में स्वस्य बच्चा के डिलवरी में अंत्यत लापरवाही करने के कारण बच्चा की अचानक गर्भ में हुई मृत्यु के संबंध में।
महाशय,
मैं पीड़िता अमीत कुमार बर्मन, बरियातू निवासी अपार दुःख के साथ बताना चाहता हूँ कि मेरी पत्नी सुजाता कुमारी गर्भावस्था में थी और विल्कुल स्वस्थ हालत में अपना समय व्यतित कर रही थी, गर्भावस्था की पूरी मेडिकल देख रेख लक्ष्मी नर्सिंग होम, हिनू के डॉ० मनीषा चौधरी के देख रेख 1 माह (मई 2023) से 9 माह फरवरी 2024 के 20 तरिख तक किया गया, उसमें माँ और बच्चो दोना का रिर्पोट बहुत ही अच्छा था डॉ मनीषा का रिर्पोट और उनका कहना था।
9 महीना बितने के बाद फरवरी में प्रसव पीडा आंरम होने के बाद मैं 19 फरवरी को शाम 4:00 बजे अस्पताल में भर्ती करवाया। मेरी पत्नी को शाम 5:00 बजे लेबर रूम मे प्रवेश करवाया गया ताकि प्रसव हो सके।
मैं बडे असिम पीडा के साथ ये कहना चाहता हूँ कि मेरी पत्नी प्रसव गृह मे अत्यंत पीडा के साथ व्याकुल हो रही थी, मैं अब पीडा नही सह सकती हूँ, आप मेरा ऑपरेशन कर दे, लगातार बोलती रही लेकिन कोई भी एक न सुना, सब मोबाइल देख रही थी और सो रही थी। मेरे परिजन को अंदर जाने पर वे लोग भगा दे रहे थे और बोल रहे थे कि मरीज को छोड़ देंगे आपलोग खुद देख लीजिए।
19 फरवरी के शाम 4:00 बजे से 20 फरवरी के सुबह 10:00 बजे तक मेरे और मेरी पत्नी कि पीडा को नजर अन्दाज किया, इस नजर अंदाज मे डॉ मनीषा चौधरी, एच०आर० कंचन सिंह, डॉ निमा कर्ण, सिस्टर अंजली और 4 सिस्टर साथ में थी और अस्पताल कर्मी सब थे। तथा प्रसव कि प्रक्रिया की आरंभ करने में विलम्ब किया परिणम स्वरूप बच्चे कि मौत गर्भ में ही हो गयी। इस पुरे प्रसव प्रकिया के दौरान मुझे बिल्कुल अंधकार मे रखा गया और इससे सबंधित कोई भी जानकारी उपलबध नहीं करवाई गई। बडे आश्चर्य कि बात है लगभग 16 घंटे बाद 20 फरवरी 2023 सुबह में सूचित किया कि बच्चे कि स्थिति नाजुक हैं और तुरंत ये ऑपरेशन करना है। मैं 2 सेकेड का समय न ले कर ऑपरेशन कि अनुमति दिया।
सर्व प्रथम डॉ० मनीषा चौधरी के द्वारा ये सूचना दिया गया कि सर्जरी के द्वारा आपका पुत्र हुआ है और उसका आगमन हो गया है। पर उसका हृदयगती धीमी चल रही है। उसके बाद 09:20 में मेरे पुत्र को मृत बोल दिया गया। जबकि कि बच्चे कि मौत माँ के गर्भ में हो गई थी। इस बात को लेकर डॉ० मनीषा चौधरी अपनी गलती को स्वीकार भी कि यह सब घटना अस्पताल के C.C.T.V. कैमरे के सामने हुआ है।
कहना है कि डॉ० मनीषा चौधरी और प्रबंधन के द्वारा पूरी प्रसव प्रक्रिया में पुरी तरह नजर अंदाज किया गया जो हमारे बच्चे का मौत का कारण बना। इस संबंध में मुझे विभिन्न स्रोतों से पता चला कि इस तरह के लापरवाही कि वजह से 1 माह में उसे 4 बच्चे की मौत हो गए हैं। घटना 21 जनवरी, 12 फरवरी और 20 फरवरी को लगातार घटना हो रही है।
जब मैं इस घटना का विरोध करने लगा तो डॉ० मनीषा चौधरी और उसकी पुरी टीम में मुझे धमकी देने लगे कि अस्पताल से आपको उलझना महंगा पड़ेगा। अस्पताल में मैं एक नॉर्मस लिखना पड़ता है। जिससे मेरा कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है। मेरा नाम और मेरी फर्म एक ब्रांड है तथा एक बड़ी पहचान है। मैं सब कुछ मैनेज कर सकती हूँ। इससे तो आपको ज्ञात होना चाहिए कि मेरी पहचान बहुत ऊपर तक है। मैं चाहूँगी तो आपको तथा आपके परिवार को उल्टा फंसा सकती हूँजिससे आपके साथ- साथ आपके पूरे परिवार की जान-माल का नुक्सान हो सकता है।
अभी मेरी पत्नी की स्थिति बहुत गंभीर कभी भी कुछ भी हो सकता है, इस गंभीर स्थिति के जिम्मेदार डॉ० मनीषा चौधरी हैं। एक महिला के लिए पुत्र वियोग क्या होता है। इस दर्द को कोई भी समझ सकता है। लेकिन अस्पताल के डॉ० तथा स्टाफ नहीं समझा तथा न ही समझना चाहता है।
मैं अस्पताल के कुव्यवस्था के लिए थाने एवं न्यायालय में अपील दर्ज करवाऊँगा। ताकि इस कुव्यवस्था के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो। जिससे मेरे साथ हुए दुर्घटना किसी अन्य साथ न घटे।
पिड़िता
अमीत कु० बर्मन
अमित कुमार वर्मन पत्नि- सुजाता कुमारी बरियातु, राँची।