भुगतान न होने पर भूख से मजदूर की मौत का गंभीर आरोप
विष्णुगढ़ बीडीओ अखिलेश कुमार पर भिखन रविदास ने दायर किया परिवादवाद
हज़ारीबाग़ – विष्णुगढ़ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार के खिलाफ हज़ारीबाग़ सिविल कोर्ट के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास विक्रांत रंजन की अदालत में कोर्ट परिवादवाद संख्या 2968/2024 बुधवार को दायर किया गया है ।अधिवक्ता पवन कुमार यादव के माध्यम से परिवादी भीखन रविदास पिता बुधन रविदास ग्राम अलपीटो थाना विष्णुगढ निवासी ने दायर परिवादवाद में कहा है कि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार ने दिनांक 5/09/2024 को अलपीटो पंचायत में आपका सरकार आपका द्वार कार्यकम चल रहा था जिसमें मनरेगा मजदूरो के दिन प्रति दिन परेशानी देखते हुऐ परिवादी भीखन रविदास पंचायत समिति सदस्य के प्रतिनिधी होने के नाते अपने साथ वार्ड सदष्य रमेश पंडित एंव अन्य मनरेगा मजदूरों को लेकर आपका सरकार आपका द्वार, कार्यक्रम में उपस्थित बिष्णुगढ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार को रोजगार मांगने गयें थे। कार्यक्रम में उपस्थित बिष्णुगढ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार ने परिवादी एंव जन प्रतिनिधियों तथा अलपीटो पंचायत के जनता और मजदूरों के साथ गाली-गलौज करके धक्का-मुक्की कर दियें और गाली व जातिसूचक अपशब्द बोलते हुए कहा कि तुमलोग को रोजगार देगें तुमलोग को भुखे मार देगें तुमलोग मनरेगा कार्य में आश्रित हो ना. हम एक भी काम नही होने देगें तब जाओगे दुसरे राज्य में काम करने तो वहाँ से भी गिर मर कर घर आओगे। इसके बाद अखिलेश कुमार ने बिष्णुगढ थाना प्रभारी को फोन कर के पुलिस बल मंगा लिया और पुलिस बल से मार-पीट करवा कर परिवादी एंव जन प्रतिनिधियों को जख्मी कर दिया और परिवादी, प्रतिनिधियों, मजदूरो एंव ग्रामीन जनता को भगा दिया ।
भुगतान न होने पर भूख से मजदूर की मौत का गंभीर आरोप
कोर्ट में दायर परिवादवाद में कहा गया है कि अलपिटो निवासी विजय रविदास के नाम के मजदूर के नाम से डोभा निर्माण कार्य का भुगतान रिश्वत न मिलने के कारण रोक दिया,बार-बार मांगने पर भुगतान नही होने पर उसकी भूख से मौत हो गई। उसी प्रकार जगदीश रविदास ग्राम चौथा थाना विष्णुगढ़ जिला हजारीबाग निवासी ने गाय शेड लिया था जिसका विष्णुगढ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार के लापरवाही और रिश्वत ना मिलने के कारण स-समय भुगतान नही होने दिया जिससे तनाव और निराशा से उनकी भी मृत्यु हो गई। परिवादी द्वारा भारतीय दण्ड विधान की धारा 115(2)/108/351(2)/352/3(5) B.N.S अन्तर्गत परिवादवाद दायर किया गया है।