नाबालिग बिरोहर बच्ची की मौत पर केंद्र सरकार ने लिया एक्शन
मुख्य सचिव और आदिवासी जाति-जनजाति आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई करते हुए केंद्र को सूचित करने का दिया निर्देश
रांची – झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले में केरेडारी प्रखंड अंतर्गत एनटीपीसी की चट्टी बरियातू कोयला खनन परियोजना के एमडीओ (माईन डेवलपर ऑपरेटर) ऋत्विक-एएमआर द्वारा खनन के दुष्प्रभाव के कारण एक दस वर्षीय बिरहोर बच्ची के मौत के मामले में मंटू सोनी की शिकायत पर भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए यह निर्देश दिया है की, कार्रवाई करते हुए शिकायत कर्ता को अवगत कराते हुए मंत्रालय को सूचित किया जाए।
खनन स्थल से महज कुछ दूरी पर बिरहोर बस्ती को पुनर्वासित किए हो रहा खनन
शिकायत कर्ता मंटू सोनी ने अपने शिकायत में एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल परियोजना के खनन स्थल से महज कुछ मीटर की दूरी पर लुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरोहर बस्ती को बिना विस्थापित-पुर्नवास किए खनन कार्य कर कार्य चालू कर दिए जाने की बात बताया है। कहा है कि खनन स्थल के समीप आदिम जनजाति बिरहोर आबादी 250 की संख्या की आबादी,40 बच्चे रहते हैं।
जिसके दुष्प्रभाव में आकर 28 फरवरी 2024 को दस वर्षीय नाबालिक आदिम जनजाति बिरहोर बच्ची की मौत हो गई और कंपनी द्वारा महज चालीस हजार मुआवजा देकर शव दफनाने का दबाव दिए जाने की जानकारी दिया था। इसके अलावे खनन के आसपास घनी मानवीय आबादी भी है जिसे विस्थापित-पुर्नवास किए बिना खनन कार्य जारी किया जा रहा है। परियोजना अंतर्गत छोटकी नदी के एक किलोमोटर एरिया को भी बंद कर उसमें ओबी डंप कर उसे भर दिया गया है। जिससे उस नदी के अस्त्तिव मिटने के कगार पर आ गया है। पूरे मामले पर जिला-प्रसाशन भी मौन है और आम जनता विवश है। एनटीपीसी और जिला प्रसाशन द्वारा समुचित प्रयास करने के आश्वासन देकर मामूली पानी छिड़काव के नाम पर मानवीय आबादी को खतरे में डाल खनन कार्य कर रही है। किसी अनहोनी होने पर स्थानीय प्रशासन/मीडिया को मैनेज कर दबाने का प्रयास किया जाता है।